राष्ट्रीय

जब ‘क्रिएटिविटी’ की आड़ में मर्यादाओं का उल्लंघन होने लगे।

आज का युवा वर्ग डिजिटल क्रांति के युग में है, जहां सोशल मीडिया पर लाखों-करोड़ों की फॉलोइंग रखने वाले क्रिएटर्स, यूट्यूबर्स और इन्फ्लुएंसर्स समाज पर गहरा प्रभाव डालते हैं। ऐसे में, जब कोई यूथ आइकन अपनी लोकप्रियता का इस्तेमाल मर्यादाओं को तोड़ने, अपमानजनक टिप्पणी करने या विवादास्पद कंटेंट बनाने में करता है, तो यह एक गंभीर विषय बन जाता है।

हाल ही में, रणवीर अल्लाहबादिया (जो ‘बीयर बाइसेप्स’ नाम से भी जाने जाते हैं) विवादों में घिर गए जब उन्होंने एक शो के दौरान माता-पिता के संबंधों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी। मामला तूल पकड़ने के बाद उन्होंने इसे ‘क्रिएटिविटी’ की संज्ञा दी, लेकिन क्या हर बयान या मजाक को रचनात्मकता कहकर उचित ठहराया जा सकता है?

क्रिएटिविटी की परिभाषा और सीमाएं

रचनात्मकता का अर्थ नवीन विचारों, कला और नवाचार से जुड़ा है। यह समाज को प्रेरित करने, नई सोच को जन्म देने और सकारात्मक बदलाव लाने का माध्यम है। लेकिन जब कोई ‘रचनात्मकता’ के नाम पर अश्लीलता, अपमानजनक भाषा या असंवेदनशील टिप्पणियों को बढ़ावा देता है, तो यह न केवल क्रिएटिविटी की मूल भावना से भटकाव है, बल्कि सामाजिक मर्यादाओं का उल्लंघन भी है।

सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को यह समझने की जरूरत है कि उनकी कही गई बातें लाखों युवाओं तक पहुंचती हैं। अगर वे अपने कंटेंट को व्यंग्य, ह्यूमर या क्रिएटिविटी की आड़ में सामाजिक संवेदनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए इस्तेमाल करेंगे, तो यह जिम्मेदार डिजिटल नागरिकता के विपरीत होगा।

प्रभाव और जिम्मेदारी

यूथ आइकन्स को यह समझना चाहिए कि वे केवल एंटरटेनर नहीं, बल्कि समाज के एक महत्वपूर्ण रोल मॉडल भी हैं। उनके विचार, शब्द और कार्य लाखों युवाओं की सोच और मानसिकता को प्रभावित करते हैं। ऐसे में, उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे अपनी अभिव्यक्ति को मर्यादाओं में रखें और अपनी लोकप्रियता का सही उपयोग करें।

रणवीर अल्लाहबादिया का मामला केवल एक उदाहरण है। इससे पहले भी कई बार बड़े इन्फ्लुएंसर्स ने विवादित बयान देकर जनता की नाराजगी झेली है। सवाल यह उठता है कि क्या इन घटनाओं से कोई सबक लिया जाता है, या फिर माफी मांगकर और कुछ समय के लिए चुप रहकर मामला ठंडा होने का इंतजार किया जाता है?

निष्कर्ष: जिम्मेदार अभिव्यक्ति की जरूरत

आज, जब सोशल मीडिया हर व्यक्ति को एक मंच दे रहा है, तब हमें यह तय करना होगा कि इस मंच का उपयोग समाज में सकारात्मकता और प्रेरणा फैलाने के लिए हो, न कि विवाद पैदा करने के लिए। क्रिएटिविटी की आड़ में मर्यादाओं को लांघना सही नहीं है।

इन्फ्लुएंसर्स को यह समझने की जरूरत है कि उनका हर शब्द और हर बयान सिर्फ व्यूज या लाइक्स नहीं बढ़ाता, बल्कि समाज पर एक असर भी डालता है। इसलिए, एक रचनात्मक और प्रभावशाली व्यक्तित्व बनना है तो जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ना जरूरी है।

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