उत्तराखंड

इंतज़ार खत्म बाँक्स आफिस पर धूम मचाने को तैयार है ‘मैरें गांव की बांट’।

देहरादून।  पिछले एक साल से जिस फिल्म का इंतजार लोग बड़े बेसब्री से कर रहे थे अब उनका ये इंतजार खत्म होने वाला है। आगामी 5 दिसंबर को देहरादून के सेंट्रियों माल मे इस मूवी को लोग देख सकते है।
फिल्म की ज्यादातर शुटिंग चकराता के गांवों मे हुई है ये गांव बड़े पर्द पर बेहद सुन्दर और आपको अपनी ओर आकर्षित करेगें गांव के ज्यादातर घर आपको वास्तु कला शैली में दिखेंगे जिससें आपको भारत गांव में बसता है का पूरा चित्रण दिखाई देगा।
 मूवी मे आपको दिखेगा एक अद्धभुत संस्कृति के दर्शन जो दर्शकों का मनमोह लेगी।
इस मूवी मे आपको एक अलग और संपन्न संस्कृति के दर्शन होगें। आपने भारत मे विभिन्नता मे एकता तो बहुत बार सूना होगा मगर उसे जीने का एहसास आपको इस मूवी को देखने के बाद होगा। आप इस मूवी मे देखोगें कि जनजातीय समुदाय के लोग जब शादी करते है तो किस तरह दुल्हन अपनी बारात लेकर दुल्हे के घर पहुंचती है और फिर कैसे पूरी रात गीत संगीत चलता है। ये मनमोहक दृश्य देखकर आप भारतीय होने पर गर्व करने लगोगें।
महिला सशक्तिकरण का बेजोड़ उदाहरण देखने को मिलेगा इस मूवी में।
भारत सरकार और राज्य सरकारें महिला सशक्तिकरण पर लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। ‘यत्र नारियस्ते पूज्यते रमते तत्र देवता’ का पाठ कालेज स्कूल टीवी पर पढ़ाया जा रहा है। मगर चकराता इसका सबसे अच्छा उदाहरण है कि महिला को सम्मान कैसे दिया जाता है। इसका उदाहरण आपको इस बात से मिलेगा कि चकराता मे एक पूर्व मंत्री चुनाव के दौरान अपने विपक्षी दल के नेता के घर अपनी पत्नी को लेकर गये और इस बात का मान रखते हुए उन्होंने उन्हें निर्विरोध चुनाव जीतने दिया। उन्होंने उस महिला के सम्मान में अपना नामांकन तक वापस ले लिया। महिला सशक्तिकरण का इससे सुन्दर उदाहरण पूरे भारत में कहीं ओर देखने को नहीं मिलता। इस मूवी मे महिला सशक्तिकरण के बारे मैं आपको बहुत कुछ जानने और सीखने को मिलेगा।
संयुक्त परिवार का महत्व कैसे एक धागे में फिरोकर रखा जाता है परिवार।
जहां आज की भागदौड़ भरी जिन्दगी मे लोगों के पास अपने और अपने बच्चों के लिए समय नहीं है। ज्यादातर लोग भारत में एकांकी जीवन जी रहे है। सबकुछ होने के बाबजूद भी लोगों के पास कुछ नहीं है। क्योंकि उनके पास न तो अपने लिए समय है और न ही अपने बाल बच्चों के लिए।
दूसरी तरफ आप देखोगे की इस मूवी मे किस तरह चकराता के जनजातीय समाज में आज भी संयुक्त परिवार में लोग रहते है। एक नहीं दो या तीन पीढ़ी के लोग कैसे एक साथ प्यार और मोहब्बत से रहते है। जो आपको निश्चित तौर पर मंत्रमुग्ध कर देगा।
बड़े पर्दे पर मूवी आने से बाँलिबुड़ की नजर पड़ सकती है चकराता के रमणीक स्थलों पर।
इस मूवी के बड़े पर्दे पर आने से बाँलिबुड़ की नजर चकराता के मोईला टाँप,देबवन,कनासर,ठाणा डांडा, चोरानी छानी,शिलगुर डांडा आदि रमणीक स्थलों पर पड़ सकती है। जिसे फिल्म में देखने के बाद बड़े बड़े प्रोडक्शन बैनरों की चकराता शुटिंग के लिए पहली पसंद बन सकती है। इतना ही नहीं वास्तु कला में बने लकड़ी के कई पीढियों पुराने मकानों को बाँलिबुड़ अपने कमरे में कैद करना चाहेगा। इससें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वोकल फार लोकल नारे को समर्थन मिलेगा वहीं बाँलिबुड़ को अब हजारों मिल दूर जाकर स्वीजरलैंड मे अपनी फिल्म शूट नहीं करनी पड़ेगी। क्योंकि चकराता की सुन्दर वादियां किसी स्वीजरलैंड से कम नहीं है। दूसरी ओर लोगों को रोजगार के अवसर भी खुलेगें।
फिल्म का निर्देशन अनुज जोशी ने किया है प्रस्तुत कर्ता के.एस.चौहान है और फिल्म की मुख्य भूमिका में अभिनव चौहान और प्रियंका चौहान है।

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