उत्तराखंड

सन्त शिरोमणी श्री चन्द्र स्वामी जी उदासीन हुए ब्रह्मलीन

विजयपाल सिंह भण्डारी ब्यूरो चीफ 

देहरादून। देहरादून से 50 किलोमीटर उत्तर पश्चिम की ओर विकासनगर से 10 किलोमीटर आगे एक छोटे से पहाड़ी गांव डुमेट जोंकी तीन ओर से शिवालिक पहाड़ियों से घिरा हुआ बिल्कुल शांत वातावरण और मां कालिंदी के तट पर स्थित साधना केन्द्र आश्रम,देश विदेश के श्रद्धालुओं के आस्था का एक बड़ा केन्द्र हैं ।

यहां पर सेवक भारत के विभिन्न राज्यों से ही नहीं बल्कि अनेकों देशों से भी आते हैं,जो यहां पर आकार ध्यान और सत्संग कर अपनी सारी नकारात्मक ऊर्जा को खत्म कर सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण करते हैं । आज जैसे ही भक्तों को यह संदेश मिला की यहां के परमसंत श्रीचन्द्रस्वामीजी उदासीन पंचतत्व में विलीन हो गए।

उनके भक्त दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान,जम्मू सहित विदेशों से भी अपने गुरु के आखिरी दर्शन करने डूमेट साधना केन्द्र आश्रम पहुंचे। श्री चंद्र स्वामीजी उदासीन के शरीर छोड़ने की सूचना जैसे ही योग गुरु बाबा रामदेव को मिली तो वह भी इनकी आखिरी यात्रा में सम्मलित होने उनके आश्रम डुमेट पहुंचे। जहां से उन्होंने यमुना नदी तक कंधा देकर अत्योष्टि मे भी भाग लिया।इस अवसर पर सभी लोगों की आंखे नम थी और भीगी पलकों से सभी भक्तों ने स्वामी जी को श्रृदांजलि दी।स्वामी जी का जन्म 5 मार्च 1930 को भूमणशाह गांव जो किया पाकिस्तान में स्थित है के एक सामान्य परिवार में हुआ इनकी प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा उनके ही गांव में हुई देश के विभाजन के बाद सन 1948 में स्वामी जी ने 12वीं कक्षा सनातन धर्म कॉलेज अंबाला से उत्तीर्ण की और सन 1951 में आपने डी.ए.वी. कॉलेज देहरादून से एमएससी प्रथम सत्र पूरा किया। इन्होंने जम्मू के चिनार गुफा में 11 साल तक साधना की,और 34 वर्षों तक मौन धारण किए रहे।

इनके द्वारा आश्रम परिसर में एक स्कूल बाबा भूमण शाह विद्या मंदिर और एक श्रीचन्द्र चिनार चैरिटेबल हॉस्पिटल भी चलाया जाता है,जिसकी सेवाएं स्थानीय क्षेत्रवासियों को दि जाती है।स्वामी जी के देहांत से आज पूरा क्षेत्र शोकाकुल है।

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