उत्तराखंड @25: विधानसभा के विशेष सत्र में नई दिशा का संकल्प……।

ब्यूरों रिपोर्ट, देहरादून।
उत्तराखंड राज्य के गठन के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर सोमवार को विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित किया गया। यह ऐतिहासिक सत्र राज्य के विकास, उपलब्धियों और भविष्य की दिशा पर केंद्रित रहा। सत्र का शुभारंभ भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया, जिन्होंने अपने संबोधन में उत्तराखंड की उपलब्धियों की सराहना करते हुए विकास की नई परिकल्पना पर बल दिया।
राष्ट्रपति का संबोधन: “अब पहाड़ से नीति बने, मैदान से नहीं”….
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि उत्तराखंड ने बीते 25 वर्षों में शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन और आधारभूत संरचना के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए हैं। लेकिन अब राज्य को “समान और संतुलित विकास” की ओर बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि,
“उत्तराखंड की आत्मा उसके गांवों में बसती है। अगले 25 वर्षों में नीतियां गांव से बनें, ताकि पहाड़ों का पलायन रुके और विकास की असली धारा वहीं बहे जहां से यह राज्य बना है”
राष्ट्रपति ने महिला शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण और जवाबदेह शासन को राज्य की प्राथमिकता बताया। उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प में उत्तराखंड की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
मुख्यमंत्री धामी का विज़न: ‘विकसित उत्तराखंड 2047’…..
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन में कहा कि यह सत्र केवल जश्न नहीं, बल्कि भविष्य की दिशा तय करने का अवसर है। उन्होंने कहा कि,
“हमारा लक्ष्य है — आत्मनिर्भर और विकसित उत्तराखंड। राज्य का हर नागरिक अगले 25 वर्षों की यात्रा का सहभागी बने”
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार “विकसित उत्तराखंड 2047” नामक दीर्घकालिक रोडमैप पर काम कर रही है, जिसके तहत
हर जिले के लिए विशेष विकास योजना,
महिला सशक्तिकरण और स्वरोजगार मिशन,
पर्यटन सर्किट विस्तार,
डिजिटल शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार,
और पर्यावरणीय संतुलन व जल-संरक्षण नीति को लागू किया जाएगा।
विपक्ष की प्रतिक्रिया……..।
विपक्ष ने इस सत्र को “उत्सव से अधिक आत्ममंथन का अवसर” बताया। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि 25 वर्षों में राज्य ने बहुत कुछ पाया, पर “पहाड़ आज भी अपने मूल सवालों—रोजगार, पलायन और स्वास्थ्य—के जवाब की प्रतीक्षा में है।”
मुख्य चर्चाएं और प्रस्ताव………..।
सत्र में सदस्यों ने यह सुझाव दिया कि सरकार को अगले चरण के विकास में विशेष ध्यान देना चाहिए।
1. पहाड़ी जिलों में रोजगार और शिक्षा की उपलब्धता पर।
2. पर्यावरणीय सुरक्षा और जल-स्रोतों के संरक्षण पर।
3. युवाओं के कौशल विकास और निवेश बढ़ाने पर।
4. ग्रामीण पर्यटन और कृषि-आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने पर।
उत्तराखंड का नया अध्याय शुरू………..।
विधानसभा का यह विशेष सत्र राज्य के लिए केवल “25 साल का जश्न” नहीं, बल्कि “अगले 25 साल का संकल्प” बन गया।
अब यह देखना होगा कि सरकार इस सत्र में किए गए संकल्पों को धरातल पर उतार पाती है या नहीं।
जैसा कि राष्ट्रपति ने कहा,
“उत्तराखंड के अगले 25 वर्ष तय करेंगे कि यह राज्य केवल सुंदर पहाड़ों का घर रहेगा या भविष्य के भारत का नेतृत्व करने वाला प्रदेश बनेगा”

