राष्ट्रीय

जीएसटी:- आज़ादी के बाद का सबसे बड़ा टैक्स सुधार…।

ब्यूरों रिपोर्ट,

भारत में आज़ादी के बाद से 2017 तक टैक्स वसूली का ढांचा जटिल और उलझा हुआ रहा। केंद्र और राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर अलग-अलग कर वसूलती थीं। कहीं चुंगी, कहीं प्रवेश कर, तो कहीं वैट और लक्ज़री टैक्स—व्यापारियों और उपभोक्ताओं के लिए यह पूरी व्यवस्था बेहद कठिन थी। एक ही वस्तु या सेवा पर कई बार टैक्स लगना आम बात थी। यही कारण था कि इसे कैस्केडिंग इफ़ेक्ट यानी “टैक्स पर टैक्स” कहा जाता था।

जीएसटी से पहले का परिदृश्य……..।

जीएसटी लागू होने से पहले केंद्र सरकार उत्पाद शुल्क, सेवा कर, केंद्रीय बिक्री कर जैसे कर वसूलती थी। वहीं राज्य सरकारें वैट, लक्ज़री टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स, चुंगी और प्रवेश कर लगाती थीं। हर राज्य के अपने-अपने नियम थे। नतीजा यह हुआ कि देश का एकीकृत बाज़ार बाधित रहा और चेकपोस्ट पर वसूली, भ्रष्टाचार और मनमानी जैसी समस्याएँ बनी रहीं।

2017 में बदलाव की शुरुआत…….।

1 जुलाई 2017 को गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स (GST) लागू हुआ। इसे एक ऐतिहासिक सुधार माना गया क्योंकि इससे लगभग 20 बड़े अप्रत्यक्ष कर खत्म कर एक ही ढांचे में समाहित कर दिए गए। अब देश के लिए नारा था

“वन नेशन, वन टैक्स, वन मार्केट”।

जीएसटी से क्या बदला?……

टैक्स का सरलीकरण, अलग-अलग करों की जगह एक ही टैक्स, जिससे कारोबारियों के लिए नियम आसान हुए।

कैस्केडिंग इफ़ेक्ट खत्म, इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) की व्यवस्था से हर चरण पर दिया गया टैक्स एडजस्ट होने लगा।

पारदर्शिता और डिजिटलाइजेशन, जीएसटी पूरी तरह ऑनलाइन रिटर्न और पेमेंट पर आधारित है। भ्रष्टाचार और चुंगी नाकों की पुरानी लूट बंद हुई।

राजस्व में वृद्धि:, आज भारत हर महीने औसतन 1.8 से 2 लाख करोड़ रुपये तक जीएसटी कलेक्शन कर रहा है।

व्यापार को बढ़ावा, एक राज्य से दूसरे राज्य में माल भेजने पर कोई बाधा नहीं, ट्रांसपोर्ट कॉस्ट भी कम हुई।

हालिया बदलाव: मोदी सरकार का सीधा नेतृत्व…..।

अब जबकि जीएसटी को सात साल हो चुके हैं, चुनौतियाँ भी सामने आई हैं। राज्यों की आपत्तियाँ, छोटे कारोबारियों की जटिलताओं और कुछ क्षेत्रों (पेट्रोलियम, रियल एस्टेट, शराब) के बाहर रहने से ढांचा अधूरा लग रहा था। इसी पृष्ठभूमि में नवरात्र 2025 से मोदी सरकार और उनके मंत्रीमंडल ने खुद कमान संभाली है।

इसका संकेत साफ है कि,

टैक्स दरों को और सरल करना।

छोटे कारोबारियों को राहत देना।

महंगाई नियंत्रण और उपभोक्ता हितों को प्राथमिकता देना।

क्यों है यह देशहित में?……..।

जीएसटी ने भारत को एकीकृत आर्थिक बाज़ार बनाया। इससे व्यापारियों को सुविधा, सरकार को स्थिर राजस्व और जनता को पारदर्शी व्यवस्था मिली। आने वाले समय में यदि पेट्रोलियम और अन्य छूटे हुए सेक्टर भी इसमें शामिल किए जाते हैं, तो यह सुधार और व्यापक और असरदार हो जाएगा।

जीएसटी सिर्फ एक टैक्स सुधार नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक एकता और पारदर्शिता की ओर उठाया गया सबसे बड़ा कदम है। मोदी सरकार का हालिया सक्रिय नेतृत्व संकेत देता है कि जीएसटी का दूसरा चरण शुरू हो चुका है, जो इसे और सरल, प्रभावी और जन-सरोकारों के अनुकूल बनाएगा।

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