धामी सरकार की सीएम हेल्पलाइन बना सफेद हाथी!

ब्यूरो रिपोर्ट।
देहरादून।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार जिस सीएम हेल्पलाइन 1905 को जनता की समस्याओं का त्वरित समाधान बताकर शोर मचाती रही, वही हेल्पलाइन अब “सफेद हाथी” साबित हो रही है। चकराता विधानसभा क्षेत्र से जुड़े कालसी और चकराता ब्लॉक के ग्रामीणों की शिकायतें इसका बड़ा सबूत हैं।
चकराता के कालसी व चकराता ब्लॉक में अमृत सरोवर और “मेरा गांव मेरी सड़क” योजना में गड़बड़ी की जांच अटकी।
शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि उन्होंने करीब दो साल पहले अमृत सरोवर और “मेरा गांव मेरी सड़क” योजना में धांधली को लेकर 1905 हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई थी। शुरू में कुछ महीनों तक फोन कॉल और प्रगति रिपोर्ट मिलती रही, मगर अब तो हाल यह है कि हेल्पलाइन से फोन आना ही बंद हो गया। शिकायतें धूल फांक रही हैं और कार्रवाई के नाम पर ज़ीरो प्रगति है।
ग्रामीणों का सवाल – जीरो टॉलरेंस कहां गया?…..
भाजपा सरकार आए दिन भ्रष्टाचार पर “जीरो टॉलरेंस” का दावा करती है। लेकिन जब अमृत सरोवर और मेरा गांव मेरी सड़क जैसी केंद्रीय और राज्य स्तरीय योजनाओं में भ्रष्टाचार की शिकायतें उठीं, तब न तो कोई जांच बैठी और न ही दोषियों पर कार्रवाई हुई।
ग्रामीणों का कहना है कि करोड़ों की योजनाओं का पैसा खर्च होने के बावजूद गांवों में न तो सड़कें बनीं और न ही सरोवर टिकाऊ निकले। मगर प्रशासन और सरकार दोनों ने आंखें मूंद ली हैं।
1905 की पोल – जनता को सिर्फ़ झुनझुना……।
हेल्पलाइन की शुरुआत जनता को भरोसा दिलाने के लिए हुई थी कि उनकी शिकायतों पर त्वरित एक्शन होगा। मगर चकराता का मामला साफ कर देता है कि अब यह सिर्फ़ “झुनझुना” बनकर रह गया है। शिकायतकर्ता कहते है।
“पहले तो 1905 से फोन आते थे, अपडेट पूछा जाता था। मगर अब तो फोन आने भी बंद हो गये है। जिससें साबित होता है कि सिर्फ़ औपचारिकता निभाई जा रही थी, कार्रवाई कहीं नजर नहीं आ रही।”
सरकार को कटघरे में खड़ा करती यह चुप्पी……।
धामी सरकार लगातार गुजरात मॉडल और सुशासन की बात करती है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि चकराता जैसे इलाकों में मनरेगा, अमृत सरोवर और सड़क योजना में जमकर खेल हुआ और सरकार को इसकी परवाह तक नहीं।
जनता की आवाज……।
ग्रामीणों का साफ कहना है कि अगर दो साल में भी सीएम हेल्पलाइन पर शिकायतों का निस्तारण नहीं हो पा रहा, तो यह सरकार द्धारा जनता से किए गये वादों की पोल खोलने के लिए काफी है।