“शिव अरूर पर केस, मोदी पर चुप्पी—कांग्रेस से सबक ले भाजपा!”

ब्यूरों रिपोर्ट, विक्रम सिंह।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जिस “वोट चोरी” का मुद्दा उठाया, उसी पर पत्रकार शिव अरूर के खिलाफ कांग्रेस ने एफआईआर दर्ज करा दी है। खबर ये भी है कि कांग्रेस शासित सभी राज्यों में इसी तरह की कार्रवाई हो सकती है। यानी अब यह मामला कानूनी लड़ाई का रूप लेने जा रहा है।
लेकिन सवाल ये है कि जिस मुद्दे पर राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जनता के बीच “चोर” कहकर खुलेआम संबोधित कर रहे हैं, उसी पर भाजपा और उसके करोड़ों समर्थकों की चुप्पी आखिर क्यों? न कोई मंत्री आक्रोश दिखा रहा, न पार्टी का कोई बड़ा चेहरा पलटवार कर रहा। जैसे सबने कान में रुई डाल ली हो।
विडंबना देखिए,
कांग्रेस अपने नेता के बचाव में सड़क से लेकर कोर्ट तक उतर रही है।
भाजपा, जिसके शीर्ष नेता को “चोर” कहा जा रहा है, वह मौन साधे बैठी है।
यहां तक कि भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों का एक बड़ा वर्ग भी इस अपमान को निगल जाने पर मजबूर है। सवाल उठता है, क्या भाजपा अब इतनी “पावरफुल” हो चुकी है कि उसे अपनी साख बचाने की ज़रूरत ही महसूस नहीं होती? या फिर यह आत्मविश्वास नहीं बल्कि लापरवाही है?
कांग्रेस को इस बात का श्रेय देना होगा कि कम से कम उसने अपने नेता की गरिमा बचाने के लिए संस्थागत और कानूनी लड़ाई शुरू की। जबकि भाजपा केवल सोशल मीडिया पर “मोदी है तो मुमकिन है” का नारा लगाने में व्यस्त दिखती है।
दरअसल, यही अंतर है कि,
कांग्रेस प्रतिक्रिया देती है, भले ही उसका तरीका सही-गलत पर बहस हो सकती है।
भाजपा सह लेती है, चाहे कितना भी बड़ा आरोप क्यों न हो।
जनता के बीच यह संदेश ज़रूर जा रहा है कि भाजपा लाखों कार्यकर्ताओं और सौकड़ों मंत्रियों के बावजूद आलोचना का जवाब देने में कतराती है। जबकि कांग्रेस कमजोर होते हुए भी अपने नेता पर लगे आरोपों को यूं खुला नहीं छोड़ती।
राजनीति के इस दौर में यह स्थिति बेहद अजीब है।
“चोर” कहा गया प्रधानमंत्री, चुप है भाजपा।
“वोट चोरी” का आरोप लगा, सक्रिय हो गई कांग्रेस।
अब असली सवाल यही है कि,
क्या भाजपा कांग्रेस से यह सबक लेगी कि राजनीति सिर्फ जीतने का खेल नहीं, बल्कि गरिमा बचाने की लड़ाई भी है? या फिर भाजपा मान चुकी है कि उसके समर्थकों की आंखें बंद हैं और कान में जूं रेंगनी ही नहीं है।