खतरनाक खेल की पटकथा- कठपुतलियां, अदृश्य ताक़तें और अकेला मोदी…..।

ब्यूरों रिपोर्ट, विक्रम सिंह।
क्या ये महज़ इत्तेफ़ाक़ है, या फिर कोई बहुत बड़ी और गहरी अंतरराष्ट्रीय साज़िश?
कहीं और बैठकर, कोई और खेल रहा है, और सामने सिर्फ़ कठपुतलियां नाच रही हैं। सत्ता की लालसा में देश को दांव पर लगाने वालों के लिए न शर्म बची है, न हिचक।
सुप्रीम कोर्ट का रहस्यमयी पलटवार…..।
12 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट खुली अदालत में कहता है कि “आधार और वोटर आईडी नागरिकता का सबूत नहीं हैं।”
मगर सिर्फ़ 10 दिन बाद, कल वही सुप्रीम कोर्ट, वही जज कह देते हैं कि आधार कार्ड नागरिकता का वैध प्रमाण है।
सवाल उठता है, ऐसा क्या बदल गया 10 दिन में?
आधार कार्ड की वह कौन-सी खूबी अचानक सामने आ गई, जो 12 अगस्त को नज़र नहीं आ रही थी?
या फिर यह बदलाव किसी अदृश्य दबाव, अथाह ताक़त और धनशक्ति का नतीजा है?
यही तो वह बिंदु है जो इस “खतरनाक खेल” की परतें खोलता है।
प्रधानमंत्री मोदी की चेतावनी…..।
कल बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घुसपैठियों के खतरे का ज़िक्र करते हुए कहा कि,
“यदि इसे अभी नहीं रोका गया तो आने वाले वर्षों में भारत को एक भयानक भविष्य का सामना करेगा।”
मोदी ने स्पष्ट कर दिया कि वोट बैंक की राजनीति ने इस खतरे को और ज़्यादा बढ़ावा दिया है।
राहुल गांधी का हमला और भाजपा की चुप्पी……।
इसी बीच, राहुल गांधी खुलेआम बिहार में प्रधानमंत्री को “चोर” कह देते हैं।
चौंकाने वाली बात यह है कि,
– मोदी के दम पर केन्द्र और राज्यों में सैकड़ों भाजपा नेता मंत्री बने हैं,
– पार्टी खुद को 10 करोड़ कार्यकर्ताओं की ताक़त बताती है,
फिर भी एक भी भाजपा नेता राहुल गांधी के खिलाफ़ FIR दर्ज कराने की हिम्मत नहीं जुटा पाता।
अकेला मोदी बनाम पूरी व्यवस्था…..।
ऐसा लगता है जैसे मोदी सिर्फ़ विपक्ष ही नहीं, बल्कि अपनी पार्टी की निष्क्रियता से भी अकेले लड़ रहे हैं।
पिछले 11 वर्षों से, मोदी अकेले ही देश को अंतरराष्ट्रीय साज़िशों, घुसपैठ, वोट बैंक राजनीति और अदृश्य ताक़तों के खिलाफ़ बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
लेकिन सच्चाई यही है कि,
– अदृश्य ताक़तें अदालत तक को प्रभावित कर देती हैं,
– विपक्ष सत्ता के लिए देश को गिरवी रख देता है,
– और भाजपा का विशाल संगठन भी इन खतरों के सामने खामोश नज़र आता है।
जनता की नज़र में तस्वीर साफ़……।
देश की जनता सब देख रही है।
एक अकेला आदमी पूरी साज़िशों और ताक़तों पर भारी पड़ रहा है।
यह संघर्ष सिर्फ़ राजनीति का नहीं, बल्कि भारत के भविष्य का है।