जौनसारी नहीं “जननसारी”: एक टाइपिंग त्रुटि या जनजातीय पहचान पर संकट?

ब्यूरों रिपोर्ट… विक्रम सिंह।
उत्तराखंड की एक प्रतिष्ठित अनुसूचित जनजाति “जौनसारी (Jaunsari)” को लेकर भारत सरकार की वेबसाइट पर हुई एक टाइपिंग त्रुटि अब हज़ारों युवाओं के भविष्य पर भारी पड़ रही है। जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा प्रकाशित राज्यवार अनुसूचित जनजातियों की सूची में “Jaunsari” के स्थान पर “Jannsari” लिखा गया है। पहली नज़र में यह एक सामान्य टाईपिंग मिस्टेक प्रतीत हो सकता है, लेकिन इसके परिणाम जौनसारी समाज के छात्र-छात्राओं और नौकरी के उम्मीदवारों के लिए विनाशकारी सिद्ध हो रहे हैं।
त्रुटि का असर: काग़ज़ की गलती, ज़िंदगी की रुकावट…।
कई मामलों में, छात्रों को शैक्षणिक प्रवेश, छात्रवृत्ति, और सरकारी नौकरियों में चयन के बाद भी इस त्रुटि के कारण ज्वाइनिंग नहीं मिल पा रही है या रोक दी गई है। विश्वविद्यालयों, बोर्डों और चयन आयोगों में जब दस्तावेज़ों का मिलान किया जाता है, तो प्रमाण पत्रों में लिखा “Jaunsari” मंत्रालय की सूची में दर्ज “Jannsari” से मेल नहीं खाता, जिससे उम्मीदवारों को फर्जी प्रमाण पत्र धारक मान लिया जाता है।
प्रतिनिधित्व की पहल: चौहान दंपति की सक्रियता…।
इस गंभीर समस्या को लेकर विधायक मुन्ना सिंह चौहान और उनकी धर्मपत्नी, जिला पंचायत प्रशासक श्रीमती मधु तोमर चौहान, ने आज राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के सम्मानित सदस्य निरूपम चाकमा से मुलाकात की। इस संवाद में उन्होंने इस त्रुटि के सामाजिक, शैक्षणिक और रोजगार से जुड़े दुष्परिणामों को विस्तार से रखा और आयोग से तत्काल सुधार की माँग की।
यह सिर्फ एक शब्द नहीं, एक पहचान है…।
“जौनसारी” समुदाय की पहचान ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और संवैधानिक मान्यता प्राप्त है। उत्तराखंड के जौनसार-बावर क्षेत्र की यह प्रमुख जनजाति हिमालयी परंपरा, लोक साहित्य, और पर्वीय संस्कृति की वाहक रही है। संवैधानिक रूप से अनुसूचित जनजातियों की सूची में दर्ज नामों का एक-एक अक्षर वैधानिक है। ऐसे में इस प्रकार की वर्तनी त्रुटि समुदाय की संवैधानिक पहचान को ही चुनौती देती है।
क्या कहता है संविधान और कानून?
भारत के संविधान की अनुसूची 342 के अनुसार, अनुसूचित जनजातियों की सूची में किसी भी प्रकार का परिवर्तन संसद की मंज़ूरी के बिना नहीं किया जा सकता है। जब सूची में दर्ज नाम ही गलत लिखा गया हो, तो यह न केवल संवैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन है, बल्कि इससे प्रभावित जनजाति के अधिकारों का भी हनन है।
अगला कदम क्या होना चाहिए?
1. तत्काल सुधार: जनजातीय मामलों के मंत्रालय को उत्तराखंड की अनुसूचित जनजाति सूची में “Jannsari” को सुधारकर “Jaunsari” करना चाहिए।
2. सर्कुलर जारी हो: सभी विश्वविद्यालयों, आयोगों और नियुक्ति एजेंसियों को इस त्रुटि और उसके सुधार की सूचना दी जाए।
3. पुरानी फाइलों की समीक्षा हो: जिन छात्रों और अभ्यर्थियों को इस त्रुटि के कारण नुकसान हुआ है, उनके मामलों की समीक्षा कर न्याय दिलाया जाए।
एक अक्षर की गलती किसी के लिए सिर्फ “टाईपिंग मिस्टेक” हो सकती है, लेकिन जौनसारी समाज के लिए यह पहचान का संकट है। यह सिर्फ एक वर्तनी नहीं, एक अस्तित्व है। सरकार से अपेक्षा है कि वह इस त्रुटि को गंभीरता से लेते हुए तत्काल सुधार करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी युवा अपनी जातीय पहचान के कारण अपने अधिकारों से वंचित न हो।