उत्तराखंड

लखवाड़ बांध जनकल्याण समिति ने बांध प्रभावितों की समस्याओं से अधिकारियों को अवगत कराया।

ब्यूरों रिपोर्ट

देहरादून।  लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना के जलाशय निर्माण हेतु 9 ग्रामों कि कुल 4.164 हेक्टर निजी भूमि के अधिग्रहण के लिए भूमि अर्जन पुनर्वासन और पुनव्यवस्थापन मैं उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 की धारा-16(5) के अंतर्गत हेतु लोग सुनवाई लखवाड़ गांव के खेल मैदान में आयोजित की गई थी। इस जनसुनवाई में 9 ग्रामों, लखवाड़, धनपौऊ, लकसियार, सरियाना, लुधेरा,खुनाअलमान, खाती, दाऊ,ऊभौ ग्रामों के लगभग कई दर्जन बांध प्रभावित जनता उपस्थित थी।

इस बैठक में लखवाड़ बांध प्रभावित/विस्थापित अनुसूचित जाति जनजाति जनकल्याण समिति के अध्यक्ष जगमोहन सिंह चौहान ने विस्तार से बांध प्रभावितों की समस्याओं से अपर जिलाधिकारी/प्रशासक लखवाड़ बांध बांध देहरादून को विस्तार से अवगत करवाया, और उन्हें मुख्यमंत्री जी को संबोधित ज्ञापन प्रेषित किया। जिसमें उन्होंने जनपद टिहरी गढ़वाल की तरह वहां के सर्किल रेट कालसी तहसील के बांध प्रभावितों को भी देने की वकालत की, उन्होंने अपर जिलाधिकारी को अवगत करवाया की उपरोक्त नौगांव जो की जनजाति क्षेत्र के हैं यहां पर जमीन की खरीद फरोख्त बहुत कम होती है इसलिए यहां के सर्किल रेट बहुत कम है जबकि इसी परियोजना में अर्जित की जा रही भूमि जो की जनपद टिहरी गढ़वाल में पड़ती है उनकी दरों में बहुत अधिक असमानता है, इसलिए भूमि अधिग्रहण नियमावली 2013 के धारा 26 के अनुसार समीप के क्षेत्र नैनबाग तहसील के सर्किल रेट जनजाति क्षेत्र में भी दिए जाएं।

उन्होंने अपर जिलाधिकारी को यह भी अवगत करवाया कि लगभग 30 वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद बांध प्रभावितों की परिसंपत्तियों का सत्यापन एक सर्वेक्षण करके किया गया था जिसमें बांध प्रभावितों कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है पूर्व में अधिग्रहण की गई भूमि में खेतों की सुरक्षा के लिए बनाई गई दीवारों का एवं स्वयं द्वारा परवरिश किए गए फलदार एवं चारा पति के वृक्षों का भुगतान, स्वयं द्वारा निर्मित सिंचाई नेहरो का भुगतान, स्वयं द्वारा निर्मित दो मंजिला भवनों का भुगतान आदि कई समस्याएं जस की तस हैं। इसके साथ-साथ उन्होंने यह भी बताया कि जिन परिसंपत्तियों का भुगतान भविष्य में किया जाना है उसमें किस-किस परिसंपत्ति का कितना भुगतान किया जाना है वह नहीं बताया जा रहा है जबकि समस्त बांध प्रभावितों को कानूनी रूप से संवैधानिक यहां जानने का अधिकार है कि उसकी किस परिसंपत्ति का कितना भुगतान किया जाएगा। उन्होंने बांध प्रभावितों से शपथ पत्र भुगतान से पहले मांगे जाने पर जिसमें यह लिखा है कि उन समस्त बांध प्रभावितों से यहां भी लिखवाया जा रहा है कि भविष्य में कोई विवाद/आपत्ती पाई जाएगी तो उसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शपथ करता की होगी, तथा इसमें किसी भी सरकारी कर्मचारी की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। जबकि सरकार द्वारा कोई ऐसा शासन आदेश नहीं है कि भुगतान की जानकारी दिए बिना पहले ही शपथ पत्र ले लिया जाए।

उन्होंने अपर जिलाधिकारी महोदय कोई बताया कि जब यह परियोजना शुरू हुई थी आज से 30 वर्ष पहले तो तत्कालीन कार्यदाई संस्था सिंचाई विभाग द्वारा बांध प्रभावितों की संपूर्ण परिसंपत्तियों का मौके पर जाकर के सत्यापन किया गया था और कई प्रभावितों को तो नोटिस भी जारी किए गए थे जो अभी भी बांध प्रभावितों के पास मौजूद है, लेकिन सरकार द्वारा अचानक बांध निर्माण रोक दिए जाने के कारण उसे समय भुगतान नहीं हो पाए थे अब वर्तमान कार्यदाई संस्था यू जेबीएन उसे सत्यापन को नहीं मान रही है तथा सिंचाई विभाग द्वारा ट्रांसफर किए गए परिस्थितियों से जुड़े दस्तावेजों को भी एक सिरे से नकार रहे हैं जो बांध विस्थापितों के साथ घोर अन्याय है।
इसके साथ ही उन्होंने ज्ञापन में मांग की है परिवार रजिस्टर की गणना जो 2013 से बढ़कर के सरकार द्वारा 2023 कर दी गई है उसमें कई बांध प्रभावित परिवार इस गणना में छूट गए हैं, इसलिए विशेष कैंप लगा करके छूते हुए लोगों की पंचायत के परिवार रजिस्टर अनुसार उनकी गणना की जाए।
उन्होंने बताया कि ग्राम लखवार के रहने वाले कलम सिंह को परिवार रजिस्टर में मृत् दिखाया गया है जिसको अतिरिक्त जिलाधिकारी जी के सामने जनसुनवाई के दौरान पेश किया गया, क्योंकि वह व्यक्ति जीवित है इसलिए परिवार रजिस्टर में बहुत अनियमिताएं की गई है, इसलिए एक बार सत्यापन होना आवश्यक है।

जगमोहन चौहान ने अपर जिलाधिकारी महोदय को बताया की अनुग्रह अनुदान राशि 101.50 लख रुपए प्रति हेक्टेयर की स्वीकृति प्रदान की गई है, या राशि सन 2016 में बांध प्रभावितों को दे देनी चाहिए थी लेकिन आज लगभग 8 वर्ष व्यतीत होने के बाद भी नहीं दी गई है, और इसमें जो ब्याज लगाया गया है वह 7% की दर से लगाया गया है जबकि भूमि अधिग्रहण नियमावली के मुताबिक इस राशि पर 12% प्रतिवर्ष की ब्याज की दर से सगणित रकम रुपए 193.13 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर होती है। इसलिए यह आवश्यक है कि शासन आदेश में संशोधन करते हुए अनुग्रह अनुदान राशि को वर्तमान सर्किल दर और बाजार मूल्य के आधार पर यथोचित रूप से बढ़ाया जाए, जिसे बांध परियोजना से प्रभावित काश्तकारों को न्याय मिल सकेगा
उत्तराखंड जल विद्युत निगम में जो पद बांध प्रभावितों के लिए आरक्षित है उन पर तुरंत भर्ती आरंभ की जाए, तथा स्थानीय बांध प्रभावितों को रोजगार देने के लिए बांध निर्माण कर रही एलएनटी कंपनी को दिशा निर्देश दिए जाएं, जिससे बांध प्रभावितों को न्याय मिल सकेगा।

आज की बैठक में भजन सिंह तोमर पूर्व ज्येष्ठ प्रमुख कालसी, मायाराम, खुशीराम नौटियाल, जितेंद्र तोमर, गुमान सिंह तोमर , नरेश चौहान, दिग्विजय सिंह, विश्व विजय सिंह, नरेंद्र तोमर, विक्रम सिंह चौहान, युद्धवीर सिंह तोमर आदि उपस्थित थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button