राष्ट्रीय

सुप्रीम कोर्ट में बड़ा बदलाव: CJI सूर्यकांत के चार नए सर्कुलर से न्याय की राह हुई आसान……।

ब्यूरों रिपोर्ट

नई दिल्ली |
देश के नए मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने सुप्रीम कोर्ट की कामकाज प्रणाली में ऐतिहासिक सुधार किए हैं। कोर्ट की धीमी प्रक्रियाओं, तारीख पर तारीख वाली समस्या और केस लिस्टिंग से जुड़े लंबे इंतज़ार को खत्म करने के लिए CJI ने कुल चार बड़े सर्कुलर जारी किए हैं। इन बदलावों को न्यायपालिका में “सबसे बड़े प्रशासनिक सुधार” माना जा रहा है।

1- ‘ओरल मेंशनिंग’ अब नहीं, कोर्ट जाने की जरूरत खत्म……

अब वकीलों को कोर्ट में खड़े होकर “मेंशनिंग” करने की ज़रूरत नहीं है।
पहले केस को जल्द सुनवाई में लाने के लिए वकील खुली कोर्ट में मौखिक रूप से आग्रह करते थे — इससे कई बार प्रभावशाली वकीलों को प्राथमिकता मिल जाती थी।

नया नियम:
अब हर मेंशनिंग लिखित होगी। इससे सिस्टम पारदर्शी होगा और सभी को बराबरी का मौका मिलेगा।

2- जो मामले तुरंत सुनवाई चाहते हैं। दो दिन में लिस्टिंग अनिवार्य…….

CJI सूर्यकांत ने साफ निर्देश दिया है कि कुछ संवेदनशील और बेहद जरूरी मामलों को कोर्ट स्वतः दो कार्यदिवस के भीतर लिस्ट करेगा।

इनमें शामिल हैं।

व्यक्तिगत आज़ादी से जुड़े मामले

जमानत (Bail, Anticipatory Bail)

हैबियस कॉर्पस

बेघर/बे-दखली (Eviction)

मकान तोड़ने (Demolition) की कार्रवाई

मृत्यु दंड (Death Penalty)

कोई भी तात्कालिक अंतरिम राहत

पहली बार Supreme Court में एक ऑटोमेटिक लिस्टिंग सिस्टम लागू हुआ है — जिसे न्याय में सबसे बड़ा सुधार माना जा रहा है।

3- ‘बार-बार तारीख’ का खेल खत्म — Adjournment पर सख्ती……।

अब अनावश्यक स्थगन (adjournment) नहीं मिलेगा।
सुनवाई टालने के लिए बेहद ठोस कारण चाहिए — जैसे गंभीर बीमारी या परिवार में मृत्यु।

साथ ही,

दूसरे पक्ष की सहमति जरूरी

सामान्य मामलों में “adjournment letter” बंद

यह कदम कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

4- जमानत याचिकाओं के लिए नई प्रक्रिया तेज़ और पारदर्शी…….।

Bail मामलों को तेज सुनवाई के लिए नया SOP लागू किया गया है।
अब जमानत की याचिका दाखिल करते ही सरकार/राज्य के वकील को advance copy भेजना जरूरी होगा।

जब तक इसका प्रमाण (Proof of Service) नहीं दिया जाएगा, केस लिस्ट नहीं होगा।
इससे अचानक सुनवाई, देरी या पक्षपात की संभावना खत्म होगी।

सुधारों का असर, न्याय आम लोगों के और करीब…..।

ये बदलाव सिर्फ तकनीकी नियम नहीं, बल्कि आम जनता के लिए बहुत बड़ी राहत हैं।

गरीब या सामान्य लोग भी अब “किसी वकील की मेंशनिंग” पर निर्भर नहीं रहेंगे।

आज़ादी, घर, रोज़गार और ज़िंदगी से जुड़े मामलों में तुरंत सुनवाई मिलेगी।

केस लिस्टिंग का खेल, पहुंच-पावर की राजनीति और तारीख पर तारीख की परंपरा कमजोर होगी।

सुप्रीम कोर्ट अधिक पारदर्शी, अधिक तेज़ और अधिक जवाबदेह बनेगा।

CJI सूर्यकांत ने साफ कहा कि,
“न्याय किसी की दया पर नहीं, व्यवस्था पर चलना चाहिए।”

“पहाड़ का सच” का विश्लेषण…….

इन सुधारों का असर पहाड़ और ग्रामीण भारत पर सबसे अधिक पड़ेगा।
कई लोग जो केस जल्दी सुनवाने के लिए दिल्ली नहीं आ सकते थे या बड़े वकीलों तक नहीं पहुँच पाते थे। अब उन्हें सिस्टम खुद सहायता देगा।

यह न्याय का लोकतंत्रीकरण है न्यायपालिका को वास्तव में “लोक अदालत” बनाने की पहल है।

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