उत्तराखंड

सहिया क्षेत्र में स्वास्थ सुविधाओं का बुरा हाल, बगैर डिस्चार्ज और एंबुलेंस के जच्चा बच्चा को भेज दिया हायर सेंटर।

ब्यूरो रिपोर्ट

देहरादून। भाजपा की धामी सरकार मे स्वास्थ व्यवस्था कैसे दम तोड़ चुकी है इसकी एक बानगी आज सहिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में देखने को मिली।आज रात एक दंपति ने अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया। महिला के पति अमीत का कहना है कि डीलीवरी कराने के बाद पूरी रात अस्पताल की तरफ से कोई ये देखने नहीं आया कि जच्चा और बच्चा कैसे है। सुबह अस्पताल की तरफ से कहां गया कि आप अपने बच्चे को हायर सेंटर ले जाओं। गरीब दंपति अस्पताल से बगैर कोई सवाल किये वहां से निकल गये।

 

आज बारीश होने के कारण जजरेट बंद था तो समय पर अस्पताल न पहुंचने के कारण बच्चे न रास्ते में ही दम तोड़ दिया। जजरेट से लोक पंचायत संगठन के कार्यकर्ता  सतपाल चौहान और उनके साथी गुजर रहे थे। उन्होंने वहां उस औरत और उसके पति को छतरी के नीचे बैठा देखा और महिला को रोते देखा गोद मे बच्चा देखकर सतपाल को कुछ संदेह हुआ तो गाडी रोककर उनसे पूछताछ करने लगे।

 

पूछताछ में दंपति ने पूरा वृत्तांत उन्हें सुनाया। उसके बाद लोक पंचायत के कार्यकर्ताओं ने उनसें पूछा कि क्या तुम्हें अस्पताल की तरफ से एंबुलेंस मुहैया नहीं कराई गई तो उन्होंने न मैं उत्तर दिया। फिर उन्होंने कहा कि अपना discharge कागज दिखाओ तो वह भी उनके पास नहीं था। उसके बाल सतपाल चौहान और उनके साथियों ने उन दोनों को अपने साथ गाड़ी में बिठाया और सीधा सहिया हास्पिटल पहुंच गए। जब इन लोगों ने अस्पताल के स्टाफ से इस बारे मे पूछताछ की तो आनाकानी करने लगे। अस्पताल की एक महिला स्टाफ तो विडियों मे साफ कहते हुए सुनाई दे रही है कि हमने इन्हें डिस्चार्ज नहीं किया है अगर अस्पताल ने इन्हें डिस्चार्ज नहीं किया तो ये दोनों अस्पताल से निकले कैसे और इस बच्चे की मृत्यु का जिम्मेदार कौन है क्या धामी सरकार इन सब सवालों के जबाब देगीं। सवाल ये है कि जब आजादी के 70 साल बाद भी स्वास्थ जैसी मूलभूत सुविधा के लिए इस क्षेत्र को तरसना पड़े तो फिर ऐसे लोकतंत्र और क्षेत्र में ऐसे जनप्रतिनिधियों का करना क्या है। लोक पंचायत संगठन को क्षेत्र की स्वास्थ और शिक्षा व्यवस्था के लिए अब खुलकर सामने आना चाहिए।

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