उत्तराखंड

विश्वविजेता गेंदबाज रेणुका ठाकुर ने हनोल मंदिर में टेका माथा…..।

ब्यूरों रिपोर्ट

“महासू महाराज के दरबार में नतमस्तक हुई भारत की बेटी”

देहरादून। महिला विश्वकप जीतने के बाद भारत की तेज़ रफ्तार गेंदबाज रेणुका ठाकुर आज हनोल पहुँचीं, जहाँ उन्होंने महासू महाराज के दर्शन कर आशीर्वाद लिया।
उनके आगमन की खबर मिलते ही मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।
लोगों ने ताली बजाकर, फूल बरसाकर और जयघोष कर अपनी इस चहेती बेटी का स्वागत किया।

मां के आशीर्वाद से मिली ऊंची उड़ान……..।

रेणुका ठाकुर मूलरूप से हिमाचल प्रदेश के रोहणू के कासला गांव की रहने वाली हैं।
उनकी सफलता के पीछे सबसे बड़ा हाथ उनकी मां का है
जिन्होंने सीमित साधनों के बावजूद अपनी बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए अथक मेहनत की।
रेणुका हमेशा कहती हैं,

“मां ने मेरे लिए सिर्फ दरवाज़े नहीं खोले, बल्कि रास्ते भी बनाए।”

आज वही बेटी जब देश का झंडा ऊँचा करती है, तो उसकी जीत हर उस मां की जीत होती है जो चुपचाप अपनी संतानों के लिए संघर्ष करती है।

हनोल में सम्मान, जनता की गर्वभरी नजरें…..।

हनोल मंदिर समिति ने रेणुका ठाकुर का सम्मान-पत्र, शॉल और प्रतीक-चिह्न भेंट कर सम्मानित किया।
रेणुका ने इस दौरान कहा कि,

“महासू महाराज की कृपा से ही मुझे यह शक्ति और संकल्प मिला।
इस धरती का आशीर्वाद मेरे हर स्पेल में रहता है।”

उनकी सादगी और विनम्रता ने वहां मौजूद हर व्यक्ति का दिल जीत लिया।

जनता बोली- ‘हमारी बेटी, हमारा गर्व’…….।

स्थानीय लोगों ने कहा कि,

“रेणुका हमारे क्षेत्र की बेटियों के लिए प्रेरणा हैं।
उन्होंने दिखाया कि पहाड़ की बेटियाँ जब ठान लेती हैं, तो पूरी दुनिया झुकती है।”

रेणुका- संघर्ष से चमक तक की कहानी…….।

रेणुका ठाकुर ने भारत की महिला टीम के लिए कई यादगार प्रदर्शन किए हैं।
तेज़ स्विंग, अनुशासन और जज़्बे ने उन्हें आज देश की सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों की कतार में खड़ा किया है।
लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि उन्होंने गांव की मिट्टी की खुशबू और संस्कार आज भी अपने साथ रखे हैं।

हिमालयन वाइस की शुभकामना……।

“रेणुका, तुम सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं
पहाड़ की उस बेटी का प्रतीक हो,
जो सपने देखती है और उन्हें हकीकत बनाती है।”

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