उत्तराखंड

मंडियों में एसटी आरक्षण कोटे की अनदेखी पर आयोग सख्त…..।

नई दिल्ली/देहरादून।

उत्तराखंड की मंडियों में अनुसूचित जनजाति वर्ग को आरक्षण कोटे की दुकानें आवंटित न किए जाने के मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) ने सख्त रुख अपनाया है। आयोग ने राज्य के कृषि एवं विपणन विभाग से इस संबंध में 30 दिन के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने मांगी रिपोर्ट, उत्तराखंड सरकार को 30 दिन में देना होगा जवाब।

तहसील चकराता, जिला देहरादून निवासी सुरेंद्र सिंह चौहान, जो अनुसूचित जनजाति वर्ग से हैं, ने आयोग को शिकायत भेजी थी कि उत्तराखंड की विभिन्न कृषि मंडियों में अनुसूचित जनजाति कोटे के तहत दुकानों का आवंटन नहीं किया जा रहा है।

शिकायत पर संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 338(क) के तहत प्राप्त शक्तियों का उपयोग करते हुए मामले की जांच और अन्वेषण का निर्णय लिया है। आयोग ने राज्य के कृषि एवं विपणन विभाग के सचिव को पत्र जारी कर निर्देश दिए हैं कि वे इस प्रकरण से संबंधित सभी तथ्यों, की गई कार्यवाही और रिपोर्ट 30 दिनों के भीतर आयोग को उपलब्ध कराएं।

 

आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि निर्धारित अवधि में उत्तर प्राप्त नहीं होता है, तो वह संविधान के अनुच्छेद 338(क) के अंतर्गत दी गई दीवानी न्यायालय जैसी शक्तियों का प्रयोग करते हुए संबंधित अधिकारी को समन जारी कर उपस्थित होने का आदेश दे सकता है।

इस पत्र की प्रति शिकायतकर्ता सुरेंद्र सिंह चौहान को भी सूचनार्थ भेजी गई है।

आयोग की इस कार्रवाई से उम्मीद जगी है कि राज्य की मंडियों में अनुसूचित जनजाति वर्ग को मिलने वाले संवैधानिक अधिकारों की वास्तविक स्थिति सामने आएगी और आरक्षण व्यवस्था को सही रूप में लागू करने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।

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