उत्तराखंड

आईटी की जगह ‘रियल एस्टेट पार्क’ बना देहरादून का IT पार्क, धामी सरकार का फैसला सवालों के घेरे में..।

ब्यूरों रिपोर्ट

देहरादून।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने राज्य के युवाओं के रोजगार का गढ़ माने जाने वाले आईटी पार्क देहरादून को अब ‘रियल एस्टेट पार्क’ में बदलने की राह पर डाल दिया है। सरकार ने आईटी पार्क के दो कीमती भूखंड R-1 (4 एकड़) और R-2 (1.5 एकड़) को RCC डेवलपर नामक निजी कंपनी को 90 साल की लीज पर सौंप दिया है।

टेंडर में सरकार ने बेस रेट 40,000 रुपए प्रति वर्ग मीटर रखा था, लेकिन बोली महज 46,000 रुपए पर जाकर थम गई। यानी कोई प्रतिस्पर्धा नहीं, कोई बड़ी होड़ नहीं!
सबसे दिलचस्प बात ये कि दोनों भूखंडों की लॉटरी एक ही कंपनी के नाम निकली- RCC Developer।

सरकार का दावा है कि सब कुछ नियमों के मुताबिक हुआ।
लेकिन सवाल यह है कि,
क्या आईटी पार्क का मकसद फ्लैट्स बनाना और बेचना था, या फिर आईटी और सॉफ्टवेयर उद्योग को बढ़ावा देकर रोजगार पैदा करना?

सिडकुल (SIDCUL) का गठन उद्योग और निवेश को बढ़ावा देने के लिए हुआ था,
रियल एस्टेट कारोबार के लिए नहीं।
तो फिर सरकारी जमीन एक बिल्डर को क्यों दी गई?

जानकारों का कहना है कि,
इस सौदे में जिस तरह से एक ही कंपनी के पक्ष में दोनों टेंडर छूटे हैं,
वह ‘पूर्व-निर्धारित खेल’ की बू देता है।
इसके अलावा कंपनी की पृष्ठभूमि और उसके संचालकों के नाम भी अब सवालों के घेरे में हैं।

सरकार के इस फैसले से प्रदेश के हजारों बेरोजगार युवाओं की उम्मीदों पर पानी फिर गया,
जो आईटी पार्क में किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी के आने की आस लगाए बैठे थे।
अब उनकी जगह वहां लक्ज़री फ्लैट्स खड़े होंगे।

मुख्यमंत्री पुष्कर धामी जी और उद्योग सचिव विनय शंकर पांडेय जी,
कानूनन आपका फैसला सही हो सकता है, लेकिन नैतिक और व्यावहारिक रूप से यह प्रदेश के हितों के खिलाफ है।

कभी यह पार्क आईटी हब बनने का सपना था,
अब यह बन रहा है रियल एस्टेट हब।

90 साल की लीज़ खत्म होने तक न जमीन देने वाले रहेंगे,
न लेने वाले, और शायद सवाल पूछने वाले भी नहीं।

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