राष्ट्रपति के 14 सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी की, फैसला सुरक्षित……।

ब्यूरों रिपोर्ट,
नई दिल्ली।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा सुप्रीम कोर्ट से पूछे गए 14 सवालों पर बीते दिनों लंबी बहस हुई। अब सर्वोच्च न्यायालय की पाँच जजों वाली संविधान पीठ ने 11 सितंबर 2025 को इस मामले में सुनवाई पूरी कर ली है और फैसला सुरक्षित रख लिया है।
क्या है पूरा मामला?…….
कुछ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि राज्यपाल विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को अनिश्चितकाल तक लंबित नहीं रख सकते। कोर्ट ने यह भी तय किया था कि अगर विधानसभा किसी बिल को दोबारा पारित कर देती है, तो राज्यपाल उसे राष्ट्रपति के पास नहीं भेज सकते।
इसी फैसले में अदालत ने राज्यपाल और राष्ट्रपति के लिए कुछ समय सीमाएँ भी तय कर दी थीं। जैसे कि कितने समय में उन्हें बिल पर फैसला लेना चाहिए।
इन्हीं बिंदुओं पर राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 143(1) का इस्तेमाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट से राय मांगी है।
राष्ट्रपति के सवाल क्यों?……।
राष्ट्रपति ने पूछा है कि,
क्या सुप्रीम कोर्ट संविधान में लिखे बिना राज्यपाल और राष्ट्रपति के लिए समय सीमा तय कर सकता है?
क्या अगर तय समय में कोई निर्णय न हो, तो बिल को अपने-आप मंजूर मान लिया जाए?
राज्यपाल और राष्ट्रपति का विवेकाधिकार कितना है और उस पर अदालत की समीक्षा हो सकती है या नहीं?
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?…….
केंद्र सरकार ने कहा कि संविधान में समय सीमा नहीं लिखी है, इसलिए अदालत का ऐसा करना सही नहीं।
कई राज्यों ने कहा कि गवर्नर के पास बिल लटकाए रखने की आदत है, जिससे जनता का काम रुकता है, इसलिए समय सीमा ज़रूरी है।
कोर्ट ने साफ कहा कि वह सिर्फ राष्ट्रपति के पूछे सवालों का जवाब देगा, पुराने फैसले को दोबारा नहीं खोलेगा।
अब आगे क्या?…….
अब देश को इंतजार है सुप्रीम कोर्ट के फैसले का। यह फैसला तय करेगा कि राज्यपाल और राष्ट्रपति को बिलों पर कब तक निर्णय लेना होगा, और क्या अदालत उनकी शक्तियों को सीमित कर सकती है।
यह मामला न सिर्फ कानूनी है, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए भी अहम है। फैसला आने के बाद राज्यों और केंद्र दोनों की कार्यप्रणाली पर बड़ा असर पड़ना तय है।