उत्तराखंड

एकलव्य आवासीय विद्यालय कालसी: पहाड़ के बच्चों के लिए उम्मीद का उजाला….।

ब्यूरों रिपोर्ट….

देहरादून ज़िले के दूरस्थ और आदिवासी बहुल कालसी क्षेत्र में स्थित एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) आज किसी वरदान से कम साबित नहीं हो रहा है। एक दशक पहले तक जहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं का सपना यहां के बच्चों के लिए बहुत दूर की बात थी, वहीं आज यह स्कूल क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर “कालसी का आईआईटी-नीट नर्सरी” बन चुका है।

आंकड़े बोलते हैं सफलता की कहानी…..।

स्कूल के खुलने से लेकर 2023 तक (2024 का डेटा अभी उपलब्ध नहीं है) यहां से निकलने वाले छात्रों ने ऐसे नतीजे दिए हैं, जिन पर पूरा उत्तराखंड गर्व कर सकता है।

आईआईटी – 17 विद्यार्थी।

ट्रिपल आईआईटी – 8 विद्यार्थी।

एनआईटी – 8 विद्यार्थी।

नीट (चिकित्सा प्रवेश) – 15 विद्यार्थी।

देश की विभिन्न प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज़ – 19 विद्यार्थी।

इन आंकड़ों का मतलब सिर्फ “नंबर” नहीं है, बल्कि यह उन सपनों की उड़ान है जो पहले संसाधनों की कमी से पंख फैलाने से पहले ही थम जाते थे।

एकलव्य विद्यालय क्यों खोले गए?….।

एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) केंद्र सरकार की जनजातीय कार्य मंत्रालय की महत्वाकांक्षी योजना है। इसका उद्देश्य है।

1. जनजातीय और दूरस्थ क्षेत्रों के बच्चों को निःशुल्क, गुणवत्तापूर्ण और आवासीय शिक्षा प्रदान करना।

2. उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं (IIT, NEET, UPSC आदि) के लिए समान अवसर देना, जैसा कि शहरी बच्चों को मिलता है।

3. स्थानीय भाषा और संस्कृति को बनाए रखते हुए राष्ट्रीय मुख्यधारा से जोड़ना।

 

पहला EMRS 1997-98 में स्थापित किया गया था, और आज देशभर में सैकड़ों विद्यालय जनजातीय बच्चों के भविष्य को रोशन कर रहे हैं। कालसी का स्कूल इसी कड़ी में एक चमकता हुआ उदाहरण है।

कालसी में बदलाव की लहर…….।

स्कूल के खुलने से पहले यहां के बच्चे अधिकतर इंटरमीडिएट के बाद दिशा भटक जाते थे। वजह थी।

बेहतर कोचिंग और मार्गदर्शन की कमी।

आर्थिक सीमाएं।

जागरूकता का अभाव।

लेकिन EMRS ने इन तीनों बाधाओं को तोड़ा। यहां बच्चों को न सिर्फ CBSE पैटर्न पर शिक्षा मिलती है, बल्कि JEE और NEET की विशेष कोचिंग, लैब सुविधाएं, डिजिटल क्लासरूम, खेल और हॉस्टल की सुविधा भी उपलब्ध है।

शिक्षकों की समर्पण भावना……।

सफलता के पीछे सबसे बड़ा योगदान शिक्षकों और प्रबंधन का है। यहां के शिक्षक सिर्फ क्लासरूम तक सीमित नहीं रहते, बल्कि छात्रों के व्यक्तिगत मार्गदर्शक, करियर काउंसलर और कई बार माता-पिता की भूमिका निभाते हैं। देर रात तक की डाउट-क्लियरिंग क्लासेस, छुट्टियों में भी एक्स्ट्रा लेक्चर और मॉक टेस्ट की तैयारी, यही वो कारण हैं जिनसे ये परिणाम संभव हुए हैं।

राष्ट्रीय पहचान…….।

आज कालसी का नाम सिर्फ पहाड़ के नक्शे तक सीमित नहीं है। IIT, NIT, NEET जैसे कठिन एग्ज़ाम में लगातार सफलता ने इसे पूरे देश में एक एजुकेशन हब के रूप में पहचान दिलाई है। कई जिलों से लोग अब यह जानने आते हैं कि इस मॉडल को अपने यहां कैसे अपनाया जा सकता है।

भविष्य की राह…….।

2024 का आंकड़ा अभी आना बाकी है, लेकिन उम्मीद है कि यह रिकॉर्ड और मजबूत होगा। साथ ही, सरकार और स्थानीय लोग चाहते हैं कि यहां से UPSC और NDA जैसी परीक्षाओं में भी बच्चे आगे निकलें।

एकलव्य आवासीय विद्यालय कालसी ने यह साबित कर दिया है कि अगर अवसर, संसाधन और सही मार्गदर्शन मिले, तो पहाड़ के बच्चे भी किसी से कम नहीं हैं। यह स्कूल सिर्फ पढ़ाई की जगह नहीं, बल्कि सपनों को हकीकत में बदलने की फैक्ट्री है।

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