उत्तराखंड

“इन्द्रोली का माँ काली मंदिर: जहाँ आस्था और संस्कृति का मिलन होता है”

रिपोर्ट.. विक्रम सिंह

जौनसार बावर, उत्तराखंड के देहरादून जिले का एक जनजातीय क्षेत्र है, जो अपनी अनूठी संस्कृति, लोक परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र अपनी पौराणिक परंपराओं, पारंपरिक पहनावे, और सामुदायिक एकता के लिए जाना जाता है, जो आधुनिक युग में भी अपनी पहचान बनाए हुए है। जौनसार बावर की संस्कृति में हिंदू धर्म और स्थानीय लोक मान्यताओं का सुंदर मिश्रण देखने को मिलता है, और माँ काली की पूजा इस क्षेत्र की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। खास तौर पर ज्येष्ठ मास में माँ काली की आराधना यहाँ के लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है।

1. सांस्कृतिक महत्व…।

जौनसार-बावर उत्तराखंड का एक जनजातीय क्षेत्र है।यहां के लोगों की पहचान उनकी विशिष्ट वेशभूषा, बोली, नृत्य, संगीत और धार्मिक आस्थाओं से होती है। मां काली की पूजा जौनसारी जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है, जो शक्ति, साहस और न्याय की प्रतीक मानी जाती हैं।

जेष्ठ मास में मां काली को समर्पित रविवार न केवल पूजा के दिन होते हैं, बल्कि यह समय सामूहिक मेलजोल, पारंपरिक नृत्य-गीतों और समाज के आत्मबल को उभारने का भी होता है।

2. लोक परंपरा और अनुष्ठान…।

  • इन्द्रोली गांव को मां काली का प्रमुख स्थल माना जाता है, जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु चारों रविवार को आते हैं।
  • यहां पूजा पारंपरिक ढंग से होती है जिसमें ढोल-दमाऊ, रणभेरी, नगाड़ा जैसे वाद्य यंत्रों की ध्वनि मां काली के आह्वान के लिए बजाई जाती है।
  • स्थानीय पुजारी और देव माली द्वारा विशेष पूजा और बलिदान की परंपरा भी निभाई जाती है।
  • देवता अवतरण (व्यक्ति विशेष पर देवता का प्रकट होना) भी यहां की एक प्रमुख परंपरा है, जिसे “देवता का बोलना” कहा जाता है। इससे लोग अपनी समस्याओं का समाधान भी पूछते हैं।

3. धार्मिक मान्यता और शक्ति पूजा…।

  • जौनसारी समाज मां काली को पराक्रम और रक्षण की देवी मानता है। विशेषकर जब प्राकृतिक आपदा, रोग या सामाजिक संकट आता है, तो लोग मां काली की शरण में जाते हैं।
  • यह माना जाता है कि जेष्ठ माह में मां काली विशेष रूप से जागृत होती हैं और चारों रविवार उनके दर्शन करने से संपत्ति, स्वास्थ्य और शांति की प्राप्ति होती है।
  • बलि प्रथा भी यहां की शक्ति पूजा का हिस्सा रही है, हालांकि अब यह प्रतीकात्मक रूप से की जाती है।

सामूहिक आयोजन: जौनसार बावर में कोई भी धार्मिक या सांस्कृतिक आयोजन सामूहिक रूप से मनाया जाता है। माँ काली की पूजा में गाँव के सभी लोग एकजुट होकर भाग लेते हैं, जो सामाजिक समरसता और एकता को दर्शाता है। भंडारे और सामूहिक प्रसाद वितरण जैसे आयोजन भी इस अवसर पर आम हैं, जो समुदाय के बीच प्रेम और सहयोग को बढ़ाते हैं।

सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव…।

इस महीने की पूजा लोगों के मनोबल को भी बढ़ाती है। यह एक सामूहिक ऊर्जा और श्रद्धा का संचार करती है, जिससे समाज में भाईचारा और सहयोग की भावना उत्पन्न होती है।

जौनसार-बावर का इन्द्रोली गांव सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह जनजातीय आस्था, सांस्कृतिक धरोहर और लोक पहचान का एक जीवंत प्रतीक है। मां काली की पूजा यहां सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनरुत्थान और सामाजिक एकजुटता का पर्व बन चुकी है।

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