अंकिता भंडारी हत्याकांड, न्याय की अनसुनी चीख़ और VIP सत्ता की परछाईं….।

ब्यूरों रिपोर्ट
उत्तराखंड की शांत पहाड़ियों में आज भी एक बेटी की चीख़ गूंज रही है।
19 साल की अंकिता भंडारी, एक साधारण परिवार की बेटी, जो मेहनत कर अपने सपनों को जीना चाहती थी। उसने “स्पेशल सर्विस” देने से इनकार किया,और उसकी कीमत उसने अपनी जान देकर चुकाई।
सितंबर 2022 का यह हत्याकांड सिर्फ एक अपराध नहीं था, यह सत्ता, पैसे और महिला गरिमा के टकराव की कहानी थी।
और आज, तीन साल बाद, वायरल ऑडियो–वीडियो ने एक बार फिर वही सवाल खड़ा कर दिया है कि,
क्या अंकिता को पूरा न्याय मिला?
या VIP चेहरों को बचाने के लिए सच्चाई दबा दी गई?
जब ‘ना’ कहना मौत बन गया……।
अंकिता भंडारी पौड़ी जिले के वनांतर रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट थी।
रिसॉर्ट मालिक पुलकित आर्य तत्कालीन भाजपा नेता विनोद आर्य का बेटा उस पर “VIP मेहमानों” के लिए अनैतिक संबंध बनाने का दबाव डाल रहा था।
अंकिता ने इनकार किया।
कुछ ही दिनों बाद वह लापता हुई और फिर उसकी लाश नहर से बरामद हुई।
जांच में सामने आया कि,
पुलकित आर्य
मैनेजर सौरभ भास्कर
कर्मचारी अंकित गुप्ता
ने मिलकर उसकी हत्या की।
मई 2025 में कोटद्वार कोर्ट ने तीनों को उम्रकैद की सजा सुनाई।
लेकिन परिवार और समाज की सबसे बड़ी आपत्ति आज भी बनी हुई है।
हत्या से पहले क्या बलात्कार हुआ?
“VIP” कौन था, जिसका नाम आज तक सामने नहीं आया?
सबूतों पर बुलडोज़र, सवालों पर चुप्पी…….।
इस केस में शुरुआत से ही सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप लगे।
रिसॉर्ट का कमरा बुलडोज़र से तोड़ा गया
बिस्तर और सामग्री जला दी गई
अहम डिजिटल और फोरेंसिक सबूत नष्ट होने का दावा।
यही कारण है कि,
कांग्रेस
सामाजिक संगठन
अंकिता का परिवार
लगातार CBI जांच की मांग करता रहा।
लेकिन केंद्र और राज्य सरकार ने इसे “पर्याप्त जांच” कहकर टाल दिया।
नया मोड़: वायरल ऑडियो–वीडियो और सत्ता का नाम…..।
दिसंबर 2025 में एक वायरल ऑडियो–वीडियो ने पूरे उत्तराखंड को हिला दिया।
इसमें,
BJP से निष्कासित पूर्व विधायक सुरेश राठौर
और उनकी कथित साथी उर्मिला सनावर
की बातचीत सामने आई।
इस बातचीत में सीधे तौर पर नाम लिए जा रहे हैं।
BJP के राष्ट्रीय महासचिव व उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत गौतम
और संगठन महामंत्री अजय सिंह का
दावा है कि,
हत्या वाली रात एक “VIP” रिसॉर्ट में मौजूद था
अंकिता पर शारीरिक संबंध/ग्रुप सर्विस का दबाव था
और इस सच्चाई को राजनीतिक रसूख के दम पर दबाया गया।
BJP ने इन क्लिप्स को AI जनरेटेड और फर्जी बताया है,
लेकिन सवाल वही है,
अगर सब फर्जी है, तो स्वतंत्र फोरेंसिक जांच से डर क्यों?
राजनीतिक टकराव, लेकिन मुद्दा इंसाफ का……..।
कांग्रेस ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मांग कि,
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में CBI जांच हो और
VIP नामों का सार्वजनिक खुलासा हो
उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल का साफ़ आरोप है कि,
“सरकार ने बेटी बचाने के बजाय सत्ता बचाई”
वहीं BJP इसे राजनीतिक साजिश बता रही है और कह रही है कि,
परिवार की हर मांग मानी गई
दोषियों को सजा मिली
अब मामला खत्म हो चुका है
लेकिन सवाल खत्म नहीं हुआ।
जनता का सवाल: अगर VIP बेगुनाह है, तो नाम क्यों छिपा रहे?…….
सोशल मीडिया पर फिर ट्रेंड कर रहा है
#JusticeForAnkita….
लोग पूछ रहे हैं कि,
क्या सत्ता के आगे बेटियों की सुरक्षा बेमानी है?
क्या उत्तराखंड VIP अपराधियों की शरणस्थली बन गया है?
क्या “बेटी बचाओ” सिर्फ नारा था?
अंकिता के पिता वीरेंद्र भंडारी आज भी यही मांग कर रहे हैं कि,
“VIP का नाम सामने लाओ, चाहे वो कितना ही बड़ा क्यों न हो।”
अब केंद्र की जिम्मेदारी है…….।
यह मामला अब सिर्फ उत्तराखंड का नहीं रहा।
यह देश की बेटियों की सुरक्षा, न्याय व्यवस्था और राजनीतिक नैतिकता का सवाल है।
इसलिए,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
गृह मंत्रालय
CBI और सुप्रीम कोर्ट
को अब हस्तक्षेप करना होगा।
क्योंकि,
अगर इस केस में सच्चाई दबाई गई,
तो अगली अंकिता किसी और पहाड़, किसी और शहर में होगी।
चुप्पी अपराध है…..।
अंकिता भंडारी की मौत तीन साल पुरानी है,
लेकिन न्याय अब भी अधूरा है।
देश को तय करना होगा कि,
क्या VIP कानून से ऊपर हैं?
या कानून सबके लिए बराबर है?
इस मामले में अब……..।
CBI जांच हो।
फोरेंसिक जांच हो।
VIP चेहरे बेनकाब हों।
यही अंकिता के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
उठो… बोलो… इंसाफ मांगो…
क्योंकि यह लड़ाई सिर्फ अंकिता की नहीं,
हर बेटी की है।