जय शाह के दौर में भारतीय महिला क्रिकेट: एक नई उड़ान……।

ब्यूरों रिपोर्ट
भारतीय क्रिकेट के इतिहास में ऐसे कुछ ही प्रशासक हुए हैं जिन्होंने नीतिगत फैसलों से खेल की दिशा ही बदल दी हो। जय शाह उनमें से एक हैं। जब उन्होंने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की कमान संभाली, तब महिला क्रिकेट भारत में मौजूद तो था, मगर वह पुरुष टीम की चमक के आगे कहीं धूमिल पड़ जाता था। आज स्थिति पूरी तरह उलट चुकी है, अब भारतीय महिला टीम न केवल मैदान पर दम दिखा रही है बल्कि उनकी पहचान, प्रतिष्ठा और पेशेवर सम्मान भी अभूतपूर्व ऊंचाई पर पहुँचा है।
1- समानता की शुरुआत — “Equal Pay” का युग…..।
2022 में जय शाह ने वह कर दिखाया जिसे भारतीय खेल इतिहास में मील का पत्थर कहा जा सकता है।
उन्होंने घोषणा की कि भारतीय महिला खिलाड़ियों को पुरुष खिलाड़ियों के बराबर मैच फीस दी जाएगी।
टेस्ट, वनडे और टी-20 — हर प्रारूप में समान भुगतान।
यह निर्णय सिर्फ आर्थिक समानता नहीं था, बल्कि उस सम्मान की बहाली थी जिसकी महिलाएं बरसों से हकदार थीं।
जय शाह ने ट्वीट किया था कि,
“मैंने वादा किया था कि हमारी महिला खिलाड़ियों को समान अवसर और समान पारिश्रमिक मिलेगा, आज वो दिन आ गया।”
इस घोषणा के बाद भारतीय महिला क्रिकेटरों का आत्मविश्वास कई गुना बढ़ गया। अब वे मैदान पर सिर्फ प्रेरणा नहीं, समान अधिकार के प्रतीक बन चुकी हैं।
2- Women’s Premier League — एक क्रांति की शुरुआत……।
2023 में शुरू हुई विमेंस प्रीमियर लीग (WPL) महिला क्रिकेट के लिए वह मोड़ थी जिसने इसे दर्शकों के दिल तक पहुंचा दिया।
जय शाह के नेतृत्व में BCCI ने इसे IPL के समान स्तर पर आयोजित किया। ब्रॉडकास्ट अधिकार, खिलाड़ी नीलामी और ब्रांड मूल्य, सबकुछ बड़े पैमाने पर।
इस लीग ने दो अहम काम किए…
1. महिला खिलाड़ियों को आर्थिक स्वतंत्रता और पहचान दी।
2. युवा लड़कियों में क्रिकेट को कैरियर के रूप में देखने की सोच जगाई।
सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका जैसी टीमों की खिलाड़ी भी WPL में शामिल हुईं। जिससे भारतीय महिला क्रिकेट को वैश्विक पहचान मिली।
3- सुविधाएं, ट्रेनिंग और पेशेवर ढांचा…….।
जय शाह के कार्यकाल में महिला क्रिकेट को पुरुषों जैसी ही सुविधाएं मिलने लगीं,
अलग फिजियो, ट्रेनर और कोचिंग स्टाफ,
उत्कृष्ट NCA (National Cricket Academy) की सुविधाएं,
और अब महिला अंडर-19 व घरेलू स्ट्रक्चर पर भी खास ध्यान।
नतीजा यह हुआ कि भारत ने 2023 में महिला अंडर-19 विश्वकप जीता। यह उपलब्धि देश के लिए ऐतिहासिक थी और इस नई नीति का प्रत्यक्ष परिणाम भी।
4- वैश्विक स्तर पर बढ़ती भारतीय आवाज़……।
जय शाह के अब ICC अध्यक्ष बनने के बाद यह स्पष्ट है कि भारत सिर्फ मैदान पर नहीं, बल्कि क्रिकेट प्रशासन में भी नेतृत्व कर रहा है।
ICC के मंच पर अब महिला क्रिकेट को केंद्र में रखकर कई फैसले लिए जा रहे हैं।
जैसे कि ओलंपिक 2028 में क्रिकेट की वापसी, और महिला टूर्नामेंट्स का विस्तार।
यह दौर भारतीय महिला खिलाड़ियों के लिए सिर्फ “खेलने” का नहीं बल्कि विश्व क्रिकेट में निर्णायक भूमिका निभाने का है।
5- आने वाली चुनौतियां………।
हालांकि राह पूरी तरह आसान नहीं।
घरेलू स्तर पर अब भी कई राज्यों में महिलाओं के लिए पर्याप्त कोचिंग ढांचा नहीं है।
WPL जैसी लीग के बावजूद, ग्रामीण और अर्द्धशहरी क्षेत्रों में टैलेंट तक पहुंच बनाना एक चुनौती बनी हुई है।
लेकिन जय शाह की कार्यशैली बताती है कि वे बदलाव को “अधूरा” नहीं छोड़ते। आने वाले वर्षों में BCCI का ध्यान महिला क्रिकेट की ग्रासरूट मजबूती पर होगा।
जय शाह के दौर में भारतीय महिला क्रिकेट सिर्फ “टीम” नहीं, बल्कि आंदोलन बन चुका है।
यह आंदोलन उस सोच का परिणाम है जो कहती है।
“क्रिकेट सिर्फ मर्दों का खेल नहीं, भारत की बेटियों का गर्व भी है।”
आज जब भारतीय महिलाएं मैदान पर नीली जर्सी पहनकर झंडा बुलंद करती हैं, तो उसमें जय शाह के दूरदर्शी फैसलों की गूंज साफ सुनाई देती है।